केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) देशभर में 1200 से अधिक स्कूल संचालित करता है. इन स्कूलों को आम बोलचाल की भाषा में KV कहा जाता है. इन KV से देश के कई छात्र निकले हैं, जो मौजूदा समय में देश-दुनिया को राह दिखा रहे हैं. ये ही वजह है कि देश के अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला KV में करवाना चाहते हैं.
अभिभावकों के बीच एक आम धारणा ये है कि अगर बच्चों का KV में दाखिला हो गया तो कम फीस में बच्चों का करियर सेट, लेकिन बीते दिनों सरकार ने संसद में KV में छात्र संख्या में आई कमी की जानकारी दी, जिसके बाद कहा जा रहा है कि देशभर में अभिभावकों और बच्चों के बीच KV का क्रेज कम हो गया है. आइए समझते हैं कि संभावित तौर पर KV में छात्रसंख्या कम होने के क्या कारण हो सकते हैं.
KV में 5 साल में छात्र नामांकन संख्या में 28 फीसदी की कमी
इस पूरी कहानी पर आगे बढ़ने से पहले KV में कम हुई छात्रसंख्या को समझते हैं. असल में बीते दिनों केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने संसद में KV में छात्रों की संख्या में हुई गिरावट को लेकर जानकारी दी थी. उन्होंने बताया कि बीते पांच सालों में KV में छात्र नामांकन संख्या में 28 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है. तो वहीं कुल छात्रसंख्या में 2 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की तरफ से संसद में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार शैक्षणिक सत्र 2020-21 में KV में दाखिला के लिए 1,95,081 छात्रों ने नामांकन कराया था, जबकि साल 2024-25 में सिर्फ 1,39,660 छात्रों ने ही दाखिला के लिए नामांकन कराया है. इस तरह इन पांच सालों में नामांकन कराने वाले छात्रों की संख्या में 55 हजार से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है.
क्या सांसद कोटा खत्म होना है वजह
KV में छात्रों की कम होती संख्या के पीछे क्या वजह है? क्या इसके लिए नियमों में हुए बदलाव को कारण माना जा सकता है? इन सवालों के जवाब तलाशे तो लगभग ये कारण सही प्रतीत होते हैं. असल में साल 2020 में भारत सरकार ने KV में सांसद कोटा खत्म कर दिया है. सीधे तौर पर इससे प्रत्येक साल 7800 हजार सीटें कम हुई हैं.
सीधे तौर पर समझें तो पूर्व तक एक सांसद को KV में 10 बच्चों के दाखिला कराने का विशेषाधिकार मिला हुआ था. संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को पास ये अधिकार था. 12 आमंत्रित सदस्यों को मिलाकर इनकी संख्या 788 होती है. इस तरह KV दाखिला में सांसद कोटा खत्म होने से प्रत्येक साल 7800 हजार सीटें कम हुई हैं.
इसी तरह जिलाधिकारी के पास भी KV में 17 बच्चों को दाखिला दिलाने का अधिकार था. देश में 600 जिलों को आधार बना कर भी इन बच्चों की गणना की जाए तो ये 10 हजार के पार होती है, इससे तस्वीर साफ हो जाती है.
वहीं दूसरी तरफ कुछ साल पूर्व तक KV स्थानीय बच्चों को भी दाखिला देते थे, लेकिन मौजूदा समय में दाखिला के नियम सख्त हुए हैं. दाखिला के लिए पात्रता के आधार पर मानदंड तय किए गए हैं. इस वजह से चुनिंदा बच्चों को ही KV में दाखिला मिल पाता है. ये प्रमुख कारण हैं कि पिछले 5 साल में KV में बच्चों की नामांकन संख्या में कमी आई है.
क्या हैं KV में दाखिला के नियम
KV में दाखिला के नियमों को समझें तो मुख्य तौर पर रक्षा, अर्धसैनिक बलों, केंद्र सरकार के कर्मियों के बच्चों को KV में दाखिला दिया जाता है. केंद्र सरकार के कर्मियों के बच्चों को दाखिला देने के लिए मानदंड निर्धारित किए गए हैं.
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