19 साल के मोनू मीणा ने NEET 2025 में 748वीं रैंक हासिल कर दिखा दिया कि अगर हौसले बुलंद हों, तो कठिन हालात में भी मंजिल पा सकते हैं. पिता के गुजरने के बाद मां ने खेती कर परिवार संभाला, बड़े भाई ने डॉक्टर बनने का सपना छोड़कर मोनू को आगे बढ़ाया. हिंदी मीडियम और आर्थिक तंगी के बावजूद मोनू ने हार नहीं मानी. अब वह सरकारी मेडिकल कॉलेज से MBBS करेंगे. यह सिर्फ एक परीक्षा पास करने की नहीं, बल्कि पूरे परिवार के सपनों को साकार करने की कहानी है.
बड़े भाई ने कुर्बान किया सपना
मोनू के पिता का निधन साल 2011 में हो गया था. उस समय वह छोटे थे और घर की सारी जिम्मेदारी उसकी मां पर आ गई. मां खेती करके घर चलाती हैं.मोनू के बड़े भाई अजय मीणा भी डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन दोनों भाइयों की कोचिंग के लिए पैसे नहीं थे, तो अजय ने अपना सपना छोड़ दिया और BSc की पढ़ाई करने लगे. मोनू बचपन से ही पढ़ने में तेज थे. मोनू के 10वीं में 91.5% नंबर आए थे, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से कोटा जाकर NEET की कोचिंग करना सपने जैसा था.
सरकारी योजना से मिली मदद
मोनू को मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना के तहत कोटा में दो साल तक फ्री कोचिंग और हॉस्टल की सुविधा मिली. यहां उसकी मुलाकात मोशन कोचिंग के डायरेक्टर से हुई, जिन्होंने मोनू का हौसला बढ़ाया. मोनू के मुताबिक, हिंदी मीडियम से NEET निकालना मुश्किल होता है, लेकिन सर ने मुझे समझाया तो दोगुनी मेहनत करने की ठान ली. कोचिंग में मोनू को हिंदी में ही सारी किताबें, टेस्ट और डाउट सेशन दिए गए. अब वह सरकारी मेडिकल कॉलेज से MBBS की पढ़ाई करेंगे.
मां और भाई को दिया क्रेडिट
मोनू ने अपनी इस जीत का क्रेडिट मां की हिम्मत और भाई के प्यार को दिया है. मोनू के मुताबिक, उनकी मां ने कभी हार नहीं मानी और भाई ने अपना सपना दे दिया. कोचिंग के लोगों ने आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया है. मोनू ने पढ़ाई के लिए सबसे पहले सोशल मीडिया से दूरी बनाई. घंटों तक रिवीजन किया और ज्यादातर समय पढ़ाई को दिया.
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