CBSE Community Radio: सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) कम्युनिटी रेडियो स्टेशन शुरू करने की तैयारी में है. इस पहल का मकसद स्टूडेंट्स, टीचर्स और पैरंट्स तक सीधे और असरदार तरीके से पहुंचना है. सीबीएसई कम्युनिटी रेडियो में सिर्फ लेक्चर या नोट्स नहीं, बल्कि लाइव और इंटरैक्टिव कार्यक्रम होंगे, जिसमें लोग रियल टाइम में हिस्सा ले सकेंगे.
कुछ दिन पहले हुई बोर्ड की गवर्निंग बॉडी की मीटिंग में इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई है. CBSE के मुताबिक, यह कदम न सिर्फ शिक्षा को और मजबूत करेगा, बल्कि संवाद का एक ऐसा मंच होगा, जो सभी को एक साथ जोड़ेगा.
क्या है योजना?
CBSE के मुताबिक, कम्युनिटी रेडियो का लाइसेंस लेने के लिए आवेदन किया जाएगा. इसके लिए अगले छह महीनों में अलग-अलग एक्सपर्ट्स और स्टेक होल्डर्स के साथ मीटिंग की जाएगी. इसके बाद तय होगा कि रेडियो पर किस तरह के कार्यक्रम प्रसारित होंगे और लाइसेंस के लिए आवेदन कैसे तैयार किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट के लिए आर्थिक योजना भी बनाई जा रही है.
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक यह पहल बोर्ड की तरफ से संवाद का एक नया जरिया बनेगा. लाइसेंस मिलने के बाद तय होगा कि कार्यक्रम में क्या-क्या शामिल किया जाए.
‘शिक्षा वाणी’ से अलग होगी यह पहल
CBSE की ओर से शिक्षा वाणी नाम का एक पॉडकास्ट प्लेटफॉर्म चलाया जाता है, जहां 9वीं से 12वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए NCERT के सिलेबस से जुड़ी ऑडियो सामग्री उपलब्ध है. अब तक इस पर करीब 400 एपिसोड अपलोड किए जा चुके हैं.
माना जा रहा है कि यह नया कम्युनिटी रेडियो स्टेशन शिक्षा वाणी से अलग होगा. यह लाइव और इंटरैक्टिव होगा, यानी स्टूडेंट्स, टीचर्स और पैरंट्स सीधे तौर पर जुड़ पाएंगे.
CBSE के लिए क्यों खास है यह कदम
CBSE की यह पहल छात्रों और शिक्षकों के लिए अहम हो सकता है. यह उन इलाकों में भी जानकारी पहुंचाने में मदद करेगा, जहां इंटरनेट की पहुंच कम है. रेडियो प्लेटफॉर्म सूचना की कमी को दूर कर सकता है और एजुकेशनल एक्टिविटी में भागीदारी बढ़ा सकता है. यह किसी राष्ट्रीय शिक्षा बोर्ड की ओर से पहली पहल होगी.
कम्युनिटी रेडियो की ताकत
भारत में कम्युनिटी रेडियो को ब्रॉडकास्टिंग का तीसरा और महत्वपूर्ण माध्यम माना जाता है. यह पब्लिक और कमर्शियल रेडियो से अलग होता है. इसका मकसद किसी खास इलाके या समुदाय के लोगों तक पहुंचना होता है. इन रेडियो स्टेशनों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये स्थानीय भाषा और बोलियों में कार्यक्रम प्रसारित करते हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इनसे जुड़ पाते हैं. भारत में 540 लाइसेंस्ड कम्युनिटी रेडियो स्टेशन हैं, जिन्हें एजुकेशनल इंस्टिट्यूट, NGO या रजिस्टर्ड सोसायटी ही चलाती हैं.
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