राजस्थान में पांचवीं कक्षा की अंग्रेजी किताब से वीरबाला कालीबाई का चैप्टर हटाए जाने पर विरोध शुरू हो गया है. डूंगरपुर जिले में भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा (बीपीवीएम) ने इसके विरोध में आज, 13 अगस्त को श्री भोगीलाल पंड्या राजकीय महाविद्यालय गेट पर प्रदर्शन किया. साथ ही बीपीवीएम ने 7 दिनों में वीर कालीबाई कलासुआ के हटाए गए पाठ्यक्रम को फिर से जोड़ने की मांग की है. ऐसे में आइए जानते हैं कि वीरबाला कालीबाई कौन थी, जिन पर चैप्टर शुरू किया गया था.
बीपीवीएम के कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष तुषार परमार के नेतृत्व में संगठन से जुड़े कई स्टूडेंट कॉलेज में एकत्रित हुए. इसके बाद नारेबाजी करते हुए कॉलेज गेट पर पहुंचे, जहां जमकर विरोध प्रदर्शन किया. बीपीवीएम के विद्यार्थियों ने कॉलेज गेट पर टायर जलाकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. तुषार परमार ने कहा कि कांग्रेस शासनकाल में उन्हें शिक्षा के प्रेरक के रुप में मानकर स्कूटी योजना का नामकरण भी उन्हीं के नाम पर किया था. ऐसे में भाजपा शासनकाल में उदयपुर एनसीआरटी की लापरवाही के कारण वीर बाल कालीबाई कलासुआ के प्रेरक प्रसंग को पांचवी कक्षा की अंग्रेजी की किताब से हटा दिया है.
कौन थी वीरबाला कालीबाई कलासुआ?
छात्रसंघ अध्यक्ष तुषार परमार ने कहा कि आदिवासी क्षेत्र में वीरबाला काली बाई कलासुआ को शिक्षा की देवी कहा जाता है. उन्होंने 13 वर्ष की अल्पआयु में अपने गुरु की जान बचाने के लिए अंग्रेजी हुकुमत की गोली खाकर शहीद हुई थी. अंग्रेज उनके गुरु के स्कूल को बंद कराने के लिए दबाव बना रहे थे. ऐसे में आदिवासी क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाने वाली वीरबाला का पाठ पांचवी की किताब में था. भापजा सरकार ने जिसे हटा दिया.
उन्होंने कहा कि इससे पूरे आदिवासी क्षेत्र में आक्रोश है. भाजपा सरकार आदिवासी के इतिहास से लगातार छेड़छाड़ कर रही है. पूर्व में भी मानगढ़ धाम के इतिहास को तोड मरोड़ कर बताया गया था. आदिवासी क्षेत्र की स्कूलों में बच्चों को इतिहास, संस्कति और परम्परा को जोड़कर अध्ययन कराना चाहिए. इसके उल्टा भाजपा शासन जो चेप्टर पूर्ववर्ती सरकार में शामिल है. उसे अब योजनाबद्ध तरीके से हटाने का कार्य कर रही है. बीपीवीएम ने कालीबाई कलासुआ के पाठ्यक्रम को फिर से जोड़ने की मांग की है, वही 7 दिनों में पाठ्यक्रम में नहीं जुड़ने पर उदयपुर में एनसीईआरटी ऑफिस के सामने घेराव कर प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी है.
(रिपोर्ट – प्रवेश जैन डूंगरपुर)