AI क्या डॉक्टरों को रिप्लेस कर देगा? डीपमाइंड के सीईओ ने ऐसा क्यों कहा, अब आगे क्या…

AI In Healthcare: डॉक्टर बनने की चाह देश-दुनिया में बढ़ रही है. कई अभिभावक अभी से अपने बच्चों को डॉक्टर बनाने के सपने बुनने लगे हैं. तो वहीं मौजूदा वक्त में प्रत्येक साल NEET UG देने वाले अभ्यर्थियों की संख्या से अंदाजा लगाया जा सकता है कि डॉक्टरों का प्रोफेशन कितनी बड़ी आबादी को आकर्षित करता है, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कई लोगों के डॉक्टर बनने के सपने को तोड़ सकता है.

गूगल डीपमाइंड के सीईओ डेमिस हसाबिस ने इसकाे लेकर चौंकाने वाली बात कही है. उन्होंने कहा है कि AI डॉक्टरों को रिप्लेस कर देगा. आइए विस्तार से जानते हैं कि उन्होंने इस सबंध में विस्तार से क्या है.

डॉक्टरों का काम करेंगी स्मार्ट मशीनें!

बीते दिनों AI और हेल्थकेयर पर एक चर्चा हुई. इस दौरान गूगल डीपमाइंड के सीईओ डेमिस हसाबिस ने कहा कि AI एमआरई स्कैन का विश्लेषण या जटिल डायग्नोसिस और कई मामलों में इंसानों से तेज और सटीक कर सकता है. ऐसे में डॉक्टरों का काम धीरे-धीरे स्मार्ट मशीनों के साथ साझेदारी में बदल जाएगा. उन्होंने कहा कि एआई का एल्गोरिदम दवा का सही नाम बताने में समर्थ होगा. हालांकि उन्होंने कहा कि तकनीक चाहे जितनी तेज और स्मार्ट हो जाए, लेकिन नर्स की असली भूमिका को नहीं छीन सकती.

इमोशनल सपोर्ट नहीं दे सकता AI

हसाबिस के मुताबिक, नर्सिंग सिर्फ दवा देना, तापमान मापना या मरीज की हालत पर नजर रखना नहीं है, ये तो मशीनें भी कर लेंगी. अंतर वहां दिखता है, जब इंसान को इंसान की जरूरत होती है. किसी ऑपरेशन के बाद मरीज का हाथ पकड़कर उसे भरोसा दिलाना, डर में डूबे व्यक्ति की आंखों में देखकर उसे हिम्मत देना या दर्द में कराह रहे बच्चे के सिर पर प्यार से हाथ फेरना, यहां AI की सीमाएं सामने आ जाती हैं.

उन्होंने कहा कि AI का एल्गोरिदम सही दवा का नाम बता देगा, लेकिन इमोशनल सपोर्ट नहीं दे सकता है. नर्सें कई बार इलाज से भी ज्यादा असर अपने संवेदनशील व्यवहार से डालती हैं. मेडिकल साइंस भी मानता है कि इमोशनल सपोर्ट कई बार रिकवरी की रफ्तार बढ़ा देता है.

डॉक्टर्स और नर्स का बोझ कम कर सकता है AI

हसाबिस के मुताबिक, मेडिकल सेक्टर में AI की ताकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. बीमारियों के पैटर्न पहचानने से लेकर पुराने रिकॉर्ड्स खंगालकर सही समय पर सही इलाज सुझाने तक, मशीनें हेल्थकेयर सिस्टम की स्पीड और सटीकता में बड़ा सुधार ला सकती हैं. इससे न केवल जानें बचेंगी, बल्कि डॉक्टरों और नर्सों पर काम का बोझ भी कम होगा.

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