AI बनेगा बच्चों का नया टीचर, यूनिवर्सिटी की जरूरत हो सकती है खत्म… किसने कही ये बात?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जनक माने जाने वाले ज्यॉफ्री हिंटन ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया है जो दुनियाभर की यूनिवर्सिटीज के लिए चिंता का कारण बन सकता है. उनका कहना है कि आने वाले 10 वर्षों में AI इतने स्मार्ट हो जाएंगे कि वे इंसानों की जगह पढ़ाने का काम करने लगेंगे.

उन्होंने कहा कि ये AI ट्यूटर बच्चों को उनकी कमजोरी के हिसाब से पढ़ा सकेंगे और उनकी समझ को गहराई से परखकर उन्हें बेहतर तरीके से गाइड करेंगे.

हर बच्चे की समझ को पहचानेगा AI

हिंटन का मानना है कि AI लाखों बच्चों का डेटा देखकर यह समझ पाएंगे कि कौन-सा बच्चा किस जगह पर गलती कर रहा है या किसे क्या समझ में नहीं आ रहा. इसलिए जहां एक इंसानी ट्यूटर दो गुना बेहतर हो सकता है, वहीं AI ट्यूटर तीन या चार गुना ज्यादा असरदार साबित हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि ये यूनिवर्सिटीज के लिए अच्छी खबर नहीं हो सकती, लेकिन सीखने वाले छात्रों के लिए ये एक बड़ा फायदा होगा.

क्या अब यूनिवर्सिटी की जरूरत नहीं रहेगी?

जब उनसे पूछा गया कि क्या इसका मतलब यह है कि भविष्य में यूनिवर्सिटीज की जरूरत ही नहीं रहेगी, तो उन्होंने कहा कि हो सकता है हमें उनकी जरूरत न रहे. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि रिसर्च और प्रशिक्षण (apprenticeship) के लिए अभी भी इन संस्थानों की जरूरत बनी रह सकती है.

AI का बढ़ता असर और चेतावनी

ज्यॉफ्री हिंटन ने मशीन लर्निंग की बुनियाद रखी है, जिस पर आज के आधुनिक AI टूल्स काम कर रहे हैं. हालांकि, अब वे AI के भविष्य को लेकर थोड़े चिंतित भी हैं. उन्होंने अपने पुराने एम्प्लॉयर गूगल से दूरी बना ली है ताकि वह इस विषय पर खुलकर अपनी राय रख सकें. उन्होंने कहा कि AI की यह रेवोल्यूशन इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन से भी बड़ी हो सकती है, क्योंकि ये इंसानों से सिर्फ ताकत में नहीं बल्कि इंटेलिजेंस में भी आगे निकल सकते हैं.

मानवता के लिए खतरा?

हिंटन ने चेतावनी दी कि आने वाले समय में AI इंसानों से ज्यादा समझदार हो जाएंगे और हो सकता है कि वे एक दिन नियंत्रण भी संभाल लें. उन्होंने कहा कि हमने अब तक कभी ऐसा अनुभव नहीं किया है कि कोई चीज हमारी तुलना में ज्यादा समझदार हो.

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