दिवाली पर क्यों की जाती है मां लक्ष्मी की पूजा? जाने इसका महत्व

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Diwali Laxmi Puja: दिवाली का त्योहार बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है जो भारत सहित कई देशों में हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है, यह त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन मनाया जाता है इस त्योहार पर हिन्दू धर्म में कई परंपरा प्रचलित है रोशनी के त्योहार दिवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

Diwali Laxmi Puja
Diwali Laxmi Puja

यह पूरे भारत में विभिन्न समुदायों के लिए अलग-अलग महत्व रखता है। इस आर्टिकल में हम दिवाली पर क्यों की जाती है मां लक्ष्मी की पूजा? इसके महत्व को समझेंगे इस लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढे।

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा क्यों की जाती है:

दोस्तों कई लोगों के मन में यह सवाल है की दिवाली के दिन तो राम जी वनवास से लौटे थे तो फिर लोग लक्ष्मी जी की पूजा क्यों करते हैं?

सभी लोग यह जानते हैं कि जब भगवान राम रावण को मारकर अयोध्या लौटे थे तो उनके आगमन को दिवाली के रुप में मनाया गया था लेकिन इस दिन लक्ष्मीजी की पूजा की जाती है तो आपको बता दे की इसके पीछे कई कहानिया प्रचलित है तो जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है

दिवाली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं, ऐसे में स्पष्ट तौर पर यह नहीं कहा जा सकता है कि आखिर इसके पीछे क्या वजह है, लेकिन, इन सभी कहानियों का सार एक ही है की दिवाली समृद्धि, रोशनी, उमंग का त्यौहार है, लक्ष्मी को भी समृद्धि के तौर पर देखा जाता है और इस दिन से समृद्धि का आगमन होता है, इसलिए इस दिन लक्ष्मी की पूजा की जाती है, भले ही इसके पीछे कहानी कुछ भी हो।।

दीपावली पर लक्ष्मी पूजा का महत्व:

धन और समृद्धि का प्रतीक: देवी लक्ष्मी को धन, समृद्धि और प्रचुरता की देवी माना जाता है। दिवाली एक ऐसा समय है जब लोग वित्तीय सफलता, समृद्धि और अपने परिवार की खुशहाली के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी की पूजा करने से भौतिक और आध्यात्मिक धन की प्राप्ति होती है।

देवी का स्वागत: ऐसा कहा जाता है कि दिवाली राक्षस राजा रावण को हराने के बाद भगवान राम की अयोध्या वापसी का प्रतीक है। भगवान राम के स्वागत और सम्मान के लिए लोगों ने अपने घरों को दीपों से रोशन किया। दीयों और मोमबत्तियों की रोशनी को देवी लक्ष्मी को अपने घर में आमंत्रित करने के एक तरीके के रूप में भी देखा जाता है, जो अंधेरे को दूर करने और प्रकाश और समृद्धि के आगमन का प्रतीक है।

व्यापार और धन परंपराएँ: कई क्षेत्रों में, दिवाली नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। व्यवसाय के मालिक परंपरागत रूप से पिछले वर्ष के लिए अपने खाते बंद कर देते हैं, अपने वित्तीय प्रयासों पर आशीर्वाद के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और नई खाता बही शुरू करते हैं। यह प्रथा उत्तर भारत में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

सफाई और शुद्धिकरण: दिवाली स्वच्छता और अपने परिवेश को शुद्ध करने के विचार से भी जुड़ी है। इस त्योहार के दौरान घरों, कार्यालयों और सार्वजनिक स्थानों की सफाई और सजावट आम बात है।

बुराई पर अच्छाई का उत्सव: दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव है, जो विभिन्न पौराणिक कहानियों का प्रतीक है, जिसमें भगवान राम की रावण पर विजय भी शामिल है। दिवाली के दौरान देवी लक्ष्मी की पूजा दिव्य गुणों और धार्मिकता की विजय पर जोर देती है, जिससे लोगों के जीवन में समृद्धि और खुशी आती है।

निष्कर्ष:

दिवाली के दौरान देवी लक्ष्मी की पूजा हिंदू परंपरा में समृद्धि, प्रचुरता और अंधेरे पर प्रकाश की विजय के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को दर्शाती है।