तमिलनाडु का इतिहास और संस्कृति बहुत पुरानी और समृद्ध है. यहां चेर, चोल, पांड्य, और पल्लव राजाओं ने अद्भुत कला, शिल्प, वास्तुकला, और शिलालेख छोड़े हैं. इनकी जानकारी पाने के लिए तमिलनाडु के पुरातत्व विभाग ने कई जगहों पर खुदाई की है, जैसे कीज़ड़ी, आदिचनल्लूर, थोंडी, गंगईकोंडा चोलपुरम, और सिवगलाई.
हाल ही में, पांड्य साम्राज्य के पुराने बंदरगाह कोरकाई में भी खुदाई शुरू होने वाली है. तमिलनाडु में पुरातत्व और शिलालेख (एपिग्राफी) के क्षेत्र में काम बढ़ रहा है. कई विश्वविद्यालय अब इसके कोर्स भी दे रहे हैं. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में नौकरियां बहुत ही कम हैं.
ज़्यादातर नौकरियां राज्य और केंद्रीय पुरातत्व विभागों में ही मिलती हैं, और इन विभागों में कुल मिलाकर 200 से भी कम लोग काम करते हैं. इसके अलावा, पुरातत्व की खुदाई या शोध के लिए सरकारी अनुमति जरूरी है, और निजी कंपनियां इसमें काम नहीं कर सकतीं.
विशेषज्ञों और कुशल लोगों की कमी
तमिलनाडु में अभी भी बहुत सारे पुराने शिलालेखों का अध्ययन बाकी है, लेकिन विशेषज्ञों (एपिग्राफिस्ट) की संख्या घटती जा रही है. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि इस क्षेत्र में नौकरी के मौके बहुत कम हैं. तमिलनाडु के प्रसिद्ध शिलालेख विशेषज्ञ वी. वेदाचलम का कहना है कि एक अच्छे एपिग्राफिस्ट को सिर्फ शिलालेख पढ़ना नहीं, बल्कि उस भाषा को समझना भी आना चाहिए.
दक्षिण भारत में काम करने वाले एपिग्राफिस्ट को तमिल, तेलुगु, और कन्नड़ भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए, जबकि उत्तर भारत में काम करने वालों को संस्कृत और प्राकृत भाषाएं आनी चाहिए.
कौन-कौन से कोर्स उपलब्ध हैं?
पुरातत्व और शिलालेख में करियर बनाने के लिए कला, मूर्तिकला, पेंटिंग, और इतिहास में रुचि होनी चाहिए. तमिलनाडु में मद्रास विश्वविद्यालय, तमिल विश्वविद्यालय (तंजावुर), मनोन्मणियम सुंदरनार विश्वविद्यालय (तिरुनेलवेली), और सेंट जेवियर्स कॉलेज (पलायमकोट्टई) जैसे कई कॉलेज और विश्वविद्यालय इस विषय में डिप्लोमा और स्नातकोत्तर कोर्स देते हैं.
तमिलनाडु ओपन यूनिवर्सिटी (TNOU) भी पुरातत्व और शिलालेख में डिप्लोमा कोर्स कराती है. इसमें 12वीं पास छात्र आवेदन कर सकते हैं. कोर्स की फीस ₹4,800 है और इसे डिस्टेंस मोड में किया जा सकता है, जिससे छात्र घर बैठे पढ़ाई कर सकते हैं.
स्कूली स्तर पर जागरूकता
तमिलनाडु के कई सरकारी स्कूलों में ‘हेरिटेज क्लब’ बनाए गए हैं, जो बच्चों को पुरातत्व, शिलालेख, और धरोहर के बारे में बताते हैं. इन क्लबों के ज़रिए बच्चों को म्यूजियम विजिट, हेरिटेज वॉक, और शिलालेखों का अध्ययन कराया जाता है, जिससे उन्हें व्यावहारिक अनुभव मिलता है.
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