एक तरफ हेमंत सोरेन की सरकार “पढेगा झारखंड ,बढ़ेगा झारखंड, समृद्ध होगा झारखंड” का नारा बुलंद कर रही है, वहीं दूसरी तरफ…., झारखंड में शिक्षा व्यवस्था की क्या स्थिति है इसका आप अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि झारखंड की रांची यूनिवर्सिटी के चार कॉलेजों में शिक्षक ही नहीं है , यानी शिक्षकों की संख्या शून्य है जबकि वहां लगभग 2500 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं.
झारखंड राज्य की उच्च शिक्षा के हालात चौंकाने वाले हैं. खुद राज्य के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सुदीव्य कुमार सोनू इस बात को मान रहे हैं. उनका कहना है कि मामला उनके संज्ञान में आया है और जल्द शिक्षकों की नियुक्ति कर उन कॉलेजों में रिक्त पड़े पदों को भरने का काम करेंगे.
रांची यूनिवर्सिटी के कॉलेज और उनका हाल
1- मॉडल डिग्री कॉलेज बानो सिमडेगा
इस कॉलेज में स्नातक स्तर पर हिंदी, इतिहास, भूगोल, अंग्रेजी और कॉमर्स विषय की पढ़ाई होती है यहां लगभग 800 से 900 की संख्या में विद्यार्थी नामांकित है लेकिन उन्हें पढ़ने वाले शिक्षकों की संख्या शून्य है.
2- मॉडल डिग्री कॉलेज ,घाघरा.
मॉडल डिग्री कॉलेज घाघरा में भी स्नातक स्तर पर पांच विषयों की पढ़ाई होती है जिसमें राजनीतिक विज्ञान, अंग्रेजी, हिंदी, इकोनॉमिक्स और टीआरएल के विषय शामिल है यहां भी लगभग 600 से 700 की संख्या में स्टूडेंट नामांकित है, पर शिक्षक एक भी नहीं है यानी यहां बच्चे खुद से पढ़ाई करते हैं.
3- महिला कॉलेज, लोहरदगा
इस कॉलेज में भी स्नातक स्तर पर लगभग आधा दर्जन विषयों की पढ़ाई होती है यहां लगभग 600 की संख्या में छात्राएं नामांकित है, लेकिन शिक्षकों की संख्या शून्य है. बता दे कि इस महिला कॉलेज की स्थापना, छात्राओं को उच्च शिक्षा मिल सके और उनकी पढ़ाई बीच मे ना छूटे इसके लिए गठन किया गया था.
4- महिला कॉलेज ,सिमडेगा
रांची यूनिवर्सिटी अंतर्गत पढ़ने वाली महिला कॉलेज सिमडेगा में भी स्नातक स्तर पर लगभग आधा दर्जन विषयों की पढ़ाई होती है इस कॉलेज में भी 300 की संख्या मे छात्राएं नामांकित है लेकिन शिक्षकों की संख्या शून्य हैं.
भाजपा ने उठाए सवाल
झारखंड जैसे राज्य में जहां ग्रामीण परिवेश से बच्चे आते हैं, कठिनाइयों के बाद वह कॉलेज की दहलीज तक पहुंचाते हैं, लेकिन वहां उन्हें निराशा हाथ लगती है, क्योंकि शिक्षकों की संख्या वहां शून्य है. यह कहना है झारखंड बीजेपी के गढ़वा से विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी ने सरकार की मंशा पर ही सवाल उठाते हुए कहा कि कितना दूर्भाग्यपूर्ण है कि 2500 बच्चे नामांकित हैं बच्चे प्रतिदिन कॉलेज पढ़ाई करने के लिए आ रहे लेकिन निराशा हाथ लग रही और लौट कर जा रहे हैं, क्योंकि उन्हें पढ़ने वाला कोई शिक्षक ही नहीं है.
कैसा होगा करियर
रांची यूनिवर्सिटी के 4 कॉलेजों के इन हालात पर लोग सवाल उठा रहे हैं, उनका कहना है कि बच्चे परीक्षा का फॉर्म भी भर रहे हैं, परीक्षा में बैठ भी रहे हैं, सोचिए कि उनका कैसा करियर होगा. बिना शिक्षक के बच्चे कैसे शिक्षित होंगे.