सीबीएसई की टू Tier परीक्षा पर साउथ के राज्य क्यों जता रहे आपत्ति, ये है बड़ी वजह

CBSE ने कक्षा 10 के छात्रों के लिए एक नई परीक्षा योजना प्रस्तावित की है, जिसमें साल में दो बार परीक्षा देने का विकल्प होगा. इस योजना का उद्देश्य छात्रों को अपने अंकों में सुधार करने का अवसर देना है, लेकिन इससे कई तरह की परेशानियां और संदेह भी पैदा हो गए हैं. छात्र, अभिभावक और शिक्षक इस योजना को लेकर चिंतित हैं क्योंकि यह कई जरूरी बातों को को नज़रअंदाज़ करती है.

इस नई योजना के अनुसार, परीक्षाएं मई तक चलेंगी और परिणाम मई के अंत या जून की शुरुआत में जारी होंगे. लेकिन केरल और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में राज्य बोर्ड की कक्षा 11 की प्रवेश प्रक्रिया मई में शुरू होकर जून में समाप्त हो जाती है. ऐसे में CBSE के छात्रों को राज्य बोर्ड में प्रवेश लेने में कठिनाई हो सकती है.

मई के महीने में दक्षिण भारत में भीषण गर्मी पड़ती है. पहले यह निर्देश दिया गया था कि अत्यधिक गर्मी के दौरान छात्रों को परीक्षा देने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए. ऐसे में मई में परीक्षा कराना इस निर्देश के उलटा मालूम होता है.

भाषाओं को लेकर भी हुआ था विवाद

जब CBSE ने इस योजना का ड्राफ्ट प्रकाशित किया, तो उसमें कुछ क्षेत्रीय और विदेशी भाषाओं को शामिल नहीं किया गया था, जिससे भ्रम और विरोध की स्थिति उत्पन्न हो गई. हालांकि, CBSE ने बाद में स्पष्ट किया कि ड्राफ्ट में दी गई सूची सिर्फ उदाहरण के रूप में थी और सभी विषय और भाषाएं 2025-26 के शैक्षणिक वर्ष में उपलब्ध रहेंगी.

छात्रों पर दबाव बढ़ने की आशंका

इस योजना का उद्देश्य भले ही अच्छा हो, लेकिन बार-बार परीक्षा देने का दबाव छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और पढ़ाई की गुणवत्ता पर असर डाल सकता है. इसके अलावा, परीक्षा परिणाम आने में देरी से कॉलेज और स्कूलों में प्रवेश की प्रक्रिया भी प्रभावित हो सकती है.

फीडबैक जुटाने की प्रक्रिया शुरू

राष्ट्रीय CBSE स्कूल परिषद (NCCS) ने इस प्रस्तावित योजना पर देशभर के स्कूलों से प्रतिक्रिया लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. NCCS की महासचिव इंदिरा राजन के अनुसार, इस फीडबैक प्रक्रिया में छात्र कल्याण, परीक्षा के संचालन में आने वाली समस्याएं, मूल्यांकन प्रणाली, उच्च शिक्षा और करियर पर प्रभाव तथा क्षेत्रीय जलवायु परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाएगा.

केरल CBSE स्कूल परिषद (CCSK) राज्यभर के स्कूलों से सुझाव एकत्र कर इन्हें एक ज्ञापन के रूप में तैयार करेगी और इसे शिक्षा मंत्रालय और CBSE अधिकारियों को सौंपेगी. इस प्रक्रिया का उद्देश्य छात्रों, शिक्षकों और स्कूलों की चिंताओं को राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करना है, ताकि इस योजना को और अधिक व्यावहारिक और लाभदायक बनाया जा सके.

CBSE की इस नई परीक्षा योजना को लेकर अभी भी कई सवाल बने हुए हैं. छात्रों और अभिभावकों को उम्मीद है कि CBSE उनकी चिंताओं पर विचार करेगा और इस योजना को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक बदलाव करेगा.

ये भी पढ़ें: अजब झारखंड की गजब कहानी..! रांची यूनिवर्सिटी के 4 कॉलेजों में शिक्षक ही नहीं