महाकुंभ मेला 2025 में कुछ खास चेहरे वायरल हुए जिसमें ग्लैमरस साध्वी हर्षा रिछारिया, माला बेचने वाली मोनालिसा और आईआईटियन बाबा शामिल हैं. इन तीनों ही चेहरों की चर्चा महाकुंभ के दौरान होती रही है. लेकिन, महाकुंभ के बाद भी एक चेहरा लगातार चर्चा में है जो हैं आईआईटियन बाबा. आईआईटियन बाबा का असली नाम अभय सिंह हैं. जो कभी आईआईटी बॉम्बे में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के छात्र थे. उन्होंने एक उज्जवल शैक्षिक करियर को छोड़कर आध्यात्मिक यात्रा को अपनाया.
आध्यात्मिक परिवर्तन से पहले अभय सिंह एक प्रतिभाशाली छात्र थे. हाल ही में इंटरनेट पर उनकी 10वीं और 12वीं क्लास की मार्कशीट वायरल हो रही है. ये मार्कशीट बताती हैं कि आईआईटियन बाबा बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में बहुत ब्राइट स्टूडेंट रहे हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने 10वीं क्लास में 93 प्रतिशत और 12वीं क्लास में 92.4 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे. ये असाधारण अंक उनकी बौद्धिक क्षमता को दर्शाते हैं. जिससे उन्हें भारत के शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थान आईआईटी बॉम्बे में सीट मिल गई थी.
ऑल इंडिया रैंक 731
आईआईटियन बाबा उर्फ अभय की शानदार एजुकेशन जर्नी 2008 में अपनी ऊंचाई पर पहुंची. जब उन्होंने आईआईटी-जेईई परीक्षा में 731वीं ऑल इंडिया रैंक प्राप्त की. इस सफलता ने उन्हें देश के सबसे बेहतरीन इंजीनियरिंग उम्मीदवारों में शुमार कर दिया था.
इंजीनियर से आध्यात्मिकता की ओर
अभय ने 2008-2012 बैच में आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (B.Tech) की डिग्री प्राप्त की. हालांकि उनका एजुकेशन रिकॉर्ड मजबूत था. उन्होंने एक अप्रत्याशित मोड़ लिया और एक हाई सैलरी वाली नौकरी छोड़कर आध्यात्मिक जागरूकता की तलाश शुरू की. अपने अतीत के बारे में एक खुलासे में अभय ने बताया कि उन्होंने कनाडा में तीन साल तक काम किया था. जहां उन्हें हर साल 36 लाख रुपये का वेतन मिलता था. उन्होंने इस भौतिक सफलता को आत्म-खोज और दर्शन पर आधारित जीवन को अपनाने के लिए छोड़ दिया.
अभय ने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने डिजाइन में मास्टर डिग्री (MDes) भी की थी और एक फोटोग्राफर के रूप में काम किया था. उन्होंने इस परिवर्तन का श्रेय अपने अर्थ और सत्य की खोज को दिया. जिसमें उन्होंने प्लेटो और सुकरात जैसे दार्शनिकों के कामों को पढ़ा और पोस्ट-मॉडर्निज़्म के सिद्धांतों में भी गहरी रुचि दिखाई.