देश को कैसे मिलेंगे काबिल टीचर? सुधा मूर्ति ने बताया, सरकारी शिक्षकों के बारे में दिया ये सुझाव

शिक्षक ही देश को आगे ले जा सकते हैं, वही हैं जो बच्चों को सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं. खास तौर से सरकारी शिक्षक. इनके ऊपर बहुत जिम्मेदारी है. जरूरत है तो शिक्षकों की गुणवत्ता सुधारने की. यह कहना है राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति का. उन्होंने सुझाव दिया है कि सरकारी शिक्षकों की हर तीन साल में परीक्षा लेनी चाहिए और उन्हें ट्रेनिंंग देना चाहिए, क्योंकि देश को काबिल टीचरों की जरूरत है. अगर टीचर योग्य और कुशल होंगे तो देश का भविष्य उज्ज्वल होगा. ]

सुधा मूर्ति ने बताया कि एक बार शिक्षक बनने के बाद, वे रिटायरमेंट तक कोई परीक्षा नहीं देते. यह एक बड़ी समस्या है क्योंकि शिक्षा पद्धति और तकनीक समय के साथ बदलती रहती हैं. अगर शिक्षकों को नई चीज़ें नहीं सिखाई जाएंगी, तो वे बच्चों को अच्छी तरह पढ़ा नहीं पाएंगे. इसलिए हर तीन साल में शिक्षकों के लिए परीक्षा और नई तकनीकों का प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाना चाहिए.

शिक्षक अच्छे नहीं हैं, तो सारी कोशिशें बेकार

उन्होंने कहा, “अच्छे स्कूल, अच्छी इमारतें, स्मार्ट क्लास सब कुछ हो सकता है, लेकिन अगर शिक्षक अच्छे नहीं हैं, तो यह सब बेकार है.” शिक्षकों को पढ़ाने का तरीका सीखना जरूरी है, जिसमें कभी सख्त रहना, कभी दोस्ताना व्यवहार रखना और कभी बहुत धैर्य रखना शामिल है.

शिक्षकों को अपडेट रखना बेहद जरूरी

आज के समय में तकनीक तेजी से बदल रही है. नई डिजिटल शिक्षा प्रणाली, स्मार्ट क्लासरूम, ऑनलाइन शिक्षण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी चीजें शिक्षा का हिस्सा बन रही हैं. अगर शिक्षक इन तकनीकों से परिचित नहीं होंगे, तो वे बच्चों को सही शिक्षा नहीं दे पाएंगे. इसलिए, प्रशिक्षण और परीक्षा से शिक्षकों को अपडेट रखना बेहद जरूरी है.

अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया

सुधा मूर्ति के इस विचार का समर्थन एनसीपी-एससीपी सांसद फौजिया खान ने भी किया. उन्होंने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में शिक्षा के लिए GDP का 6% खर्च करने की बात कही गई थी, लेकिन 2015-16 से 2025-26 के बीच यह घटकर सिर्फ 2.5% रह गया है.

उन्होंने यह भी बताया कि देश में तीन लाख स्कूल बिना किसी प्रबंधन के चल रहे हैं. इसके अलावा, सरकार ने विश्व स्तरीय शिक्षा संस्थान स्थापित करने की बात तो कही, लेकिन इसका बजट 73% तक घटा दिया गया है.

ऑनलाइन शिक्षा पर सवाल

बसपा (BSP) सांसद रामजी ने ऑनलाइन शिक्षा पर नियंत्रण लगाने की मांग की, क्योंकि छोटे बच्चे इंटरनेट पर अयोग्य (गलत) सामग्री देख रहे हैं. ऑनलाइन शिक्षा के कई फायदे हैं, लेकिन इससे जुड़े खतरों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भी चर्चा

CPI सांसद संतोश कुमार पी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हिंदी को जबरदस्ती लागू नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हर भाषा राष्ट्रीय भाषा है, चाहे वह मलयालम हो, तेलुगु हो, उड़िया हो या तमिल. भारत विविध भाषाओं का देश है, इसलिए सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए.

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