करदाता को पहले ‘कारण बताओ नोटिस’ भेजना अनिवार्य होगा

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देश में करदाताओं के आयकर विवरण का पहचानरहित निर्धारण पूरी तरह बिना किसी मुश्किल हो सके, इसके लिए वित्त मंत्रालय ने कर अधिकारियों के लिए इससे जुड़ी मानक संचालन प्रक्रिया यानी एसओपी जारी की है। मानक प्रक्रिया के हिसाब से अब किसी भी कर निर्धारण के मामले में नई कर मांग तय करने के पहले करदाता को ‘कारण बताओ नोटिस’ भेजा जाना जरूरी होगा।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की तरफ से इस बारे में कर निर्धारण इकाइयों के लिए ये निर्देश आयकर कानून की धारा 144-बी के पहचानरहित कर निर्धारण प्रावधानों के तहत जारी किए गए हैं। मामले से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक नई मानक प्रक्रिया में साफ कहा गया है कि बिना ‘कारण बताओ नोटिस’ के कर की मांग विभाग के सिस्टम में जनरेट ही नहीं की जा सकती है। करदाता को पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा। अगर विभाग करदाता के जवाब से संतुष्ट नहीं होता है तब टैक्स की मांग की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
इससे पहले कुछ मामलों में करदाताओं की तरफ से शिकायत की गई थी कि उन्हें कर की मांग को लेकर अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिल पाया। ऐसे में विभाग ने करदाताओं की तरफ से मिले फीडबैक के आधार पर व्यवस्था को सुगम बनाने की पहल की है। सरकार की कोशिश है कि कर व्यवस्था को लोगों के लिए आसान बनाया जाए। इसी मकसद से साथ पहचानरहित व्यवस्था की शुरुआत की गई ताकि उन्हें कम से कम विभाग के दफ्तरों के चक्चर लगाने पड़ें।
पैसा बाहर भेजने पर टीसीएस से छूट
नई दिल्ली। आयकर विभाग ने प्रवासी कॉरपोरेट इकाइयों और कंपनियों को विदेशों में धन भेजने और यात्रा पैकेज पर पांच प्रतिशत टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह) से छूट दी है। विभाग ने गुरुवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी की है।
यह छूट उन्हें मिली है, जिनके देश में स्थायी प्रतिष्ठान या कामकाज के लिये स्थायी जगह नहीं है। सीबीडीटी ने आयकर नियमों में बदलाव को अधिसूचित किया है और छूट का दायरा बढ़ाया है। आयकर कानून की धारा 206 (1जी) के तहत पहले यह छूट केवल प्रवासी व्यक्तियों को ही थी।
वित्त अधिनियम, 2022 में धारा 206 (1जी) को पेश किया गया था। यह अक्टूबर, 2020 में अमल में आया। इसका मकसद भारत में रहने वाले व्यक्तियों के विदेशी मुद्रा खर्च पर नजर रखना था।