लखनऊ : गर्मी की छुट्टियों के बाद विद्यालयों में करीब दो माह से पढ़ाई चल रही है। बेसिक शिक्षा विभाग ने जून में ही सवा लाख छात्र-छात्राओं को कान्वेंट स्कूल आवंटित कर दिया, उनमें सिर्फ 65 हजार को प्रवेश मिला है, जबकि 60 हजार गरीब बच्चों को निजी विद्यालयों में दाखिला नहीं मिल रहा है। मान्यता प्राप्त निजी विद्यालय संचालक आवेदनों में कमियां गिना अभिभावकों को दौड़ा रहे हैं।
निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 यानी आरटीई के तहत मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों में कक्षा एक व पूर्व प्राथमिक कक्षाओं में कुल सीटों का कम से कम 25 प्रतिशत तक गरीब बच्चों को प्रवेश देने का नियम है। मार्च से 10 जून तक तीन चरणों में अभिभावकों से आवेदन लिए गए। 15 जून को बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने तीसरे चरण के बच्चों का विद्यालय आवंटन जारी किया। तीनों में चरणों में कुल एक लाख 24 हजार 648 बच्चों को विद्यालय आवंटित करके निर्देश दिया गया कि संबंधित स्कूल उन्हें प्रवेश दें। साथ ही अभिभावकों को एसएमएस से सूचित किया गया कि उनके बच्चे का फलां विद्यालय में प्रवेश होना है। इनमें से अब तक सिर्फ 65 हजार छात्र – छात्राओं को ही प्रवेश दिया जा सका है। पिछले वर्ष 99, 255 बच्चों को प्रवेश दिलाया गया था।
प्रदेश भर के 60 हजार अभिभावक अपने बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए कांवेंट विद्यालयों का चक्कर काट रहे हैं। स्कूल संचालक छिटपुट कमियां गिनाकर प्रवेश नहीं दे रहे हैं। मसलन, दूसरे मुहल्ले के रहने वाले हैं, बच्चे का नाम व पिता के नाम में गड़बड़ी आदि के आधार पर प्रवेश नहीं दे रहे हैं।