इलाहाबाद हाईकोर्ट में मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में दर्शनार्थियों की सुरक्षा, उनके उचित रखरखाव की योजना बनाने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की गई।
प्रदेश सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि सरकार के समक्ष 10 सितंबर को रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। सरकार इस रिपोर्ट का परीक्षण कर रही है। कोर्ट से दो सप्ताह का समय कार्य योजना को प्रस्तुत करने के लिए मांग की गई। कोर्ट ने दो सप्ताह बाद 28 सितंबर को इस जनहित याचिका पर फिर से सुनवाई करने का निर्देश दिया है।
मामले में मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ अनंत शर्मा व अन्य की तरफ से दाखिल इस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
कोर्ट ने पिछली तारीख पर सुनवाई के दौरान मथुरा में जन्माष्टमी को मची भगदड़ तथा इसमें हुई मौत का उल्लेख करते हुए सरकार से तीर्थयात्री व दर्शनार्थियों की सुरक्षा की प्रस्तावित कार्य योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि 1860 में जब मंदिर मथुरा में बना था, उस समय भगवान के दर्शन के लिए अधिकतम 100 लोगों की भीड़ होती थी। परंतु, आज लाखों लोगों की मथुरा में जन्माष्टमी के दिन भीड़ एकत्रित हो रही है।
बताया गया इन मंदिर के हॉल की क्षमता कम है। गलियां भी सकरी हैं तथा लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। ऐसे में अगर दर्शनार्थियों की सुरक्षा की समुचित व्यवस्था शासन स्तर पर नहीं की गई तो इससे बड़ी घटना घट सकती है
मथुरा के अनंत शर्मा ने जनहित याचिका दायर कर हिंदू नागरिकों खासकर वैष्णव संप्रदाय के संविधान के अनुच्छेद 25 के अंतर्गत मिले धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों की रक्षा करने के लिए मंदिरों के उचित रखरखाव की योजना तैयार करने की मांग की है। साथ ही यह भी मांग की गई है कि सरकार पर्व के समय दर्शनार्थियों की जुटने वाली भारी भीड़ का उचित प्रबंधन व सुविधाएं मुहैया कराए तथा कानून व्यवस्था कायम रखे।
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