बिहार के मुंगेर जिला मुख्यालय से सटे गांव शंकरपुर के रहने वाले अंकित आनंद ने UPSC 2024 में 663वीं रैंक हासिल कर यह साबित कर दिया कि कठिन परिश्रम, अनुशासन और आत्मविश्वास से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता. उनकी इस उपलब्धि ने पूरे गांव को गौरव से भर दिया. अंकित आंनद ने DAV पब्लिक स्कूल, पटना से स्कूली शिक्षा ली. कोचीन यूनिवर्सिटी से B.Tech किया.
अंकित ने अपने इस सफर को धैर्य, विश्वास और निरंतरता बताया है. अंकित के पिता बीरेंद्र यादव ग्रामीण क्षेत्रीय बैंक में मैनेजर के पद से रिटायर हैं. मां गृहणी हैं. अंकित ने कहा, “मेरा परिवार ही मेरी ताकत है, जहां से उन्हें तैयारी के दौरान पॉज़िटिविटी मिलती रही”
डेढ़ साल नौकरी करने के बाद शुरू की तैयारी
अंकित आनंद को UPSC की तैयारी की प्रेरणा कॉलेज के दिनों में मिली, उनके पिता हमेशा उनके मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत रहे. अपनी तैयारी की शुरुआत उन्होंने NCERT और ज़रूरी किताबों से की. धीरे-धीरे आंसर राइटिंग, टेस्ट सीरीज़ और रेगुलर रिवीजन उनके रूटीन का हिस्सा बन गए. अंकित डेढ़ साल तक इंजीनियर की नौकरी करने के बाद साल 2020 से दिल्ली के राजेंद्र नगर में रहकर यूपीएसएसी की तैयारी करने लगे.
लगातार चार बार परीक्षा में असफलता मिली. लेकिन अंकित निराश नहीं हुए और दिल्ली के राजेंद्र नगर में रहते हुए लगातार तैयारी करते रहे. जिसके बाद आखिर वो पल आया जिसका अंकित को इंतज़ार था. पांचवीं बार अंकित ने यूपीएससी का एग्जाम 663 रैंक लाकर क्लियर कर लिया.
सेल्फ स्टडी और ऑनलाइन माध्यम से की पढ़ाई
अंकित का ऑप्शनल सब्जेक्ट भूगोल (Geography) था, उन्होंने Vajiram से कोचिंग की, लेकिन सेल्फ स्टडी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भी बराबर ध्यान दिया. करंट अफेयर्स के लिए विश्वसनीय स्रोतों का सहारा लिया. उन्होंने बताया कि तैयारी के दौरान मेंटल स्टेबिलिटी सबसे बड़ी चुनौती रही, उनके अनुसार प्रीलिम्स में फैक्ट्स, मेंस में विश्लेषण और इंटरव्यू में व्यक्तित्व की प्रस्तुति अहम होती है.
स्पष्ट लक्ष्य, अनुशासन और आत्मविश्वास से मिलेगी सफलता
अंकित का मानना है कि सफलता एक दिन में नहीं मिलती, बल्कि यह निरंतर प्रयासों और सेल्फ असेसमेंट का रिजल्ट होती है. नए अभ्यर्थियों को वो स्पष्ट लक्ष्य रखने, अनुशासन और आत्मविश्वास बनाए रखने की सलाह देते हैं. भविष्य में वो ग्रामीण भारत में शिक्षा, स्वास्थ्य और डिजिटल सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं. उनका जीवन मंत्र है—”कठिनाइयां उन्हें ही मिलती हैं, जो कुछ कर दिखाने की क्षमता रखते हैं” अंकित आनंद की यह यात्रा लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है.