NEET UG 2025 के रिजल्ट पर फिलहाल मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अस्थाई तौर पर रोक लगा दी है, लेकिन इसके बाद भी इस साल NEET देने वाले अभ्यर्थी NTA की तरफ से आंसर की जारी होने का इंतजार कर रहे हैं. इसके पीछे का मुख्य कारण ये है कि NEET UG में शामिल 20 लाख से अधिक अभ्यर्थी परीक्षा में अपना प्रदर्शन आंकना चाहते हैं. जिससे वह इस साल मेडिकल कॉलेजों में दाखिला को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकें.
असल में बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा के कारण NEET में बेहतर रैकिंग पाना हर साल बेहद ही चुनौतीपूर्ण हो रहा है. मेडिकल कॉलेजों में सीटें कम बढ़ रही हैं, जबकि उसके अनुपात में NEET में प्रतिस्पर्द्धा लगातार बढ़ रही है. ऐसे में बढ़ी संख्या में अभ्यर्थी NEET में शामिल होने के बाद भी मेडिकल काॅलेजों में दाखिला नहीं ले पाते हैं.
इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज की कड़ी में बात करते हैं की अगर NEET UG में कम नंबर भी आते हैं या बिना NEET के भी कैसे स्टूडेंट्स 12वीं के बाद मेडिकल सेक्टर में अपना करियर बना सकते हैं.
5 फीसदी अभ्यर्थियों को ही दाखिला, 95 फीसदी बाहर
सबसे पहले NEET UG में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या और मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या का गुणा-गणित समझते हैं. असल में प्रत्येक साल NEET UG का रिजल्ट आने के बाद बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों का डॉक्टर बनने का सपना टूटता है. इसके पीछे मेडिकल कॉलेजों की सीमित सीटें मुख्य कारण हैं.
असल में देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजाें में प्रत्येक वर्ष MBBS, BDS समेत अन्य डॉक्टरों की एक लाख से अधिक सीटों पर दाखिला होता है, जबकि प्रत्येक वर्ष NEET में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या 20 लाख से अधिक होती है. इस साल भी 20.8 लाख अभ्यर्थी नीट में शामिल हुए हैं. जबकि मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की सीटें लगभग एक लाख है. ऐसे में लगभग 5 फीसदी अभ्यर्थियों का ही डॉक्टर बनने का सपना इस साल साकार हो सकेगा और 95 फीसदी अभ्यर्थी बाहर हो जाएंगे.
बिना NEET मेडिकल में करियर संभव है?
अब सवाल ये है कि NEET में कम नंबर पाने वाले अभ्यर्थी या बिना NEET के भी मेडिकल सेक्टर में करियर बनाया जा सकता है. इसका जवाब हां है. बेशक बिना NEET के MBBS, BDS समेत अन्य डॉक्टरी की पढ़ाई नहीं की जा सकती है, लेकिन मेडिकल सेक्टर में बिना NEET 12वीं के बाद करियर बनाया जा सकता है. इसके लिए स्टूडेंट्स पैरामेडिकल कोर्सेस में दाखिला ले सकते हैं.
कौन-कौन से पैरामेडिकल कोर्सेस
देश में तेजी से फैल रहे हेल्थ सेक्टर के साथ ही पैरामेडिकल स्टॉफ की मांग भी बढ़ रही है. पैरामेडिकल स्टॉफ की भूमिका को समझें तो कई मायनों में डॉक्टरी की पढ़ाई भी पैरामेडिकल स्टॉफ के बिना अधूरी है. असल में पैरामेडिकल कोर्सेस में स्टूडेंट्स को मरीज के उपचार, निदान के दौरान मेडिकल प्रोफेशनल्स को मदद करने और मरीजों को मैनेज करने के लिए स्किल्ड किया जाता है.
पैरामेडिकल कोर्सेस की बात करें तो बॉयोलॉजी, केमिस्ट्री और फिजिक्स सब्जेक्ट से 12वीं पास स्टूडेंट ग्रेजुएशन और डिप्लोमा स्तर पर कई पैरामेडिकल कोर्स कर सकते हैं. जिमसें बीएससी इन मेडिकल लैबोरेट्री, डिप्लोमा इन रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग टेक्नोलॉजी, एनेस्थीसिया, डायलिसिस टेक्नोलॉजी से जुड़े डिग्री और डिप्लोमा कोर्स शामिल हैं, जो बिना NEET के किए जा सकते हैं. इन पैरामेडिकल कोर्सेस में दाखिला के लिए कई यूनिवर्सिटी प्रवेश परीक्षा लेती हैं तो कई जगह पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर दाखिला दिया जाता है.
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